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Friday, 9 September 2016

~ दिल के पास ~

यह कैसा रिश्ता है, यह कैसे सपने हैं
बेगाने हो कर भी क्यों लगते अपने है
मैं सोच में रहता हूँ, डर डर के कहता हूँ

पल पल दिल के पास तुम रहती हो.....

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